Friday, June 5, 2020

मेरे चेहरे से जो जाहिर हो वो छुपाऊं कैसे, तेरी मर्जी के बिना नजर आऊ कैसे,



मेरे चेहरे से जो जाहिर हो वो छुपाऊं तो छुपाऊं कैसे,
तेरी मर्जी के बिना नजर आऊ तो आऊ कैसे,
पूरा दिन गुजार दिया तुझे देखे बिना, अब इस दिल को मनाऊं तो मनाऊं कैसे,
तेरी मुस्कुराहट की झलक को देखना चाहता हूं, पर तेरे दरवाजे तक आऊं तो आऊं कैसे,
तेरी आवाज का एक नशा हो गया है, अब इस आवाज को अपना बनाऊ तो बनाऊ कैसे,
बहुत मुश्किल से तुझे पाया है, तेरा इंतजार करना तो दिल ने सिखाया है,
तुझे कितना प्यार करता हूं बताऊं तो बताऊं कैसे,
तेरी मर्जी के बिना नजर आऊं तो आऊ कैसे

31 comments:

  1. Gonna be a wonderful poet❤️

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  2. मोहब्बत का असर लगता है सहाब
    जाते जाते ना जाने किसे साथ लेजायेगा।

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  3. A heart touching poetry... Amazing and keep going

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  4. Very nice line. Wahh! Good

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