Friday, May 20, 2022

यह मौसम🌨️ कुछ अपना सा लगता है।।


 यह मौसम🌨️ कुछ अपना सा लगता है।।

बारिश🌧️की बूंदों में उसका छुअन🤝 सा लगता है।

इन मिट्टी की खुशबू 🥰में कुछ बात नहीं सी है।

उसकी बाहों🫂 में हर रात नई सी है।।

ये बादल 😶‍🌫उसके चेहरे सा दिखता है।।

इसकी गर्जन🌩️ में उसका गुस्सा 😡भी दिखता है।।

बारिश की बूंदे चाहे छूना👉 जिसे।।

पर फूलों की कलियों😗 में कहां पानी ठहरता है।।

चांद की रोशनी 🤗में उसका चेहरा खिलता है।

उसकी मुस्कान से सूरज🥵 पिघलता है।।

सागर के पानी🤞 जैसा साथ हमारा।

छोटी नदियों से क्या ही फर्क 😏पड़ता है।

1 comment:

  1. keep writing your poetry touches heart❤👈

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